शेअर मार्केट का इतिहास: कहा जाता है की दुनिया में शेअर मार्केट की शुरुवात सन १४६० में पहली बार इंग्लेंड में हुई थी। औद्योगिक क्रांती (Industrial Revolution) की शुरुवात भी उसी कालखंड में हुई थी। लेकीन लिखित इतिहास के अनुसार सन १६०२ में डच ईस्ट इंडिया कंपनी (Verenigde Oostindische Compagnie or VOC) ने दुनिया का पहला शेअर स्टाॅक और बाॅण्ड एमस्टरडॅम स्टाॅक एक्सचेंज में जारी किया था। बाद में Amsterdam Bourse के नाम से सिक्युरीटीज में ट्रेडिंग करनेवाली पहली कंपनी सन १६०२ में स्थापित की गयी थी।
भारत में एशिया के सबसे पहले और पुराने शेअर बाजार की शुरुवात मुंबई में कुछ गुजराथी और पारसी दलालों ने सन १८४० में की थी। पहली बार वह कुल २२ लोग थे और मुंबई के टाऊन हाॅल के पास एक बरगद के पेड के निचे सभी दलाल एकत्रित होते थे और कंपनियों के शेअर्स खरीदते और बेचते थे।
धीरे धीरे दलालों की संख्या और कामकाज बढता चला गया। सन १८७५ में इन्होंने अपना Native Shares & Stock Broker Association बना लिया और आज के दलाल स्ट्रीट पर एक Office भी खरीद लिया।
देश को आजादी मिलने के दस साल बाद सन ३१ अगस्त १९५७ में भारत सरकार ने बाॅम्बे स्टाॅक एक्सचेंज सिक्युरीटि एक्ट लाया। सन १९८० में बाॅम्बे स्टाॅक एक्सचेंज BSE को दलाल स्ट्रीट पर नये बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया।
सन १९८६ में SNP, BSE और SENSEX जैसे INDEX बनाये गये। सन २००० में डेरिएटिव मार्केट के लिये इसे खोला गया। २००१ में डाॅलेक्स – ३० लाॅन्च किया गया। उससे पहले सन १९८८ में भारत सरकार ने Security Exchange Board Of India (SEBI) की स्थापना की।
सन १९९२ में हर्षद मेहता स्कॅम में Bombay Stock Exchange बहुत बुरी तरह से क्रॅश हो गया तभी तत्कालिन केंद्रिय वित्त मंत्री डाॅ. श्री मनमोहन सिंग ने National Stock Exchange (NSE) की स्थापना की।
इसके बाद NSE भारत का सबसे बडा स्टाॅक एक्सचेंज मार्केट बना। सन २००० के बाद आधुनिक नयी टेक्नोलाॅजी आने के बाद डि-मटेरिअलाईज याने डिमॅट की शुरुवात हो गयी। डिमॅट के आने से शेअर एक्सचेंज में आम इन्सान को निवेश (Investment) करना और मुनाफा (Profit) कमाना बहुत आसान हो गया है।
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